कुल्लू दशहरा के दौरान शनिवार को कुल्लू के ढालपुर के रथ मैदान में पारम्परिक वेशभूषा में सुसज्जित 4000 महिलाओं ने एक साथ नाटी डाली. इस साल की दशहरा की इस महानाटी की थीम स्वच्छता और पोषण पर आधारित थी. स्वच्छता और पोषण का सन्देश देने के लिए ये महिलाएं कुल्लू की पारम्परिक वेशभूषा में सुसज्जित होकर कुल्लू के विभिन्न स्थानों जैसे मनाली, सैंज, बंजार, आनी से इस नाटी में हिस्सा लेने कुल्लू पहुंची थीं.
हिमाचल के पहाड़ी लोकगीतों की धुन पर नाटी डाल देश विदेश से दशहरा देखने आये लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. यह नाटी करीब एक घंटा चली. इसके शुरूआती 25 मिनट आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नाटी डालकर स्वच्छता का सन्देश दिया.
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कुल्लू का दशहरा कुल्लू की प्राचीन परम्परा और संस्कृति का प्रतीक है. जिसे देखने के लिए देश विदेश से हर साल लाखों लोग दशहरा में आते हैं. कुल्लू दशहरा में महानाटी की परंपरा 2014 में शुरू की गयी थी जिसमे लगभग 6000 महिलाओं ने हिस्सा लिया था. 2015 के दशहरा में 9892 महिलाओं ने ‘प्राइड ऑफ़ कुल्लू’ के तहत एक साथ नाटी डालकर लिम्का रिकॉर्ड बुक में जगह बनाई थी. तबसे हर साल किसी न किसी थीम पर महानाटी का आयोजन किया जाता है. इस मौके पर परिवहन मंत्री मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे.
देवधुन
इसके साथ ही एक नयी शुरुआत करते हुए आज दशहरा में देवधुन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में 2200 बजंतरियों ने विश्व शांति के लिए एक साथ देवधुन बजायी. 45 मिनट के इस कर्यक्रमों में ढोल, नगाड़े, शहनाई, नरसिंगा आदि वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया. पुजारियों द्वारा मंत्रोचारण के बाद 10 मिनट तक शंखनाद किया गया और इसके बाद देवधुन में हुआरा बजाया गया जिसे देवता के आगमन पर बजाय जाता है.
इस देवधुन में पहाड़ी लोकगीतों के साथ साथ ओमजय जगदीश हरे आरती को भी बजाया गया. बजंतरियों द्वारा इसके लिए तीन बार रिहर्सल भी की गयी थी. इस देवधुन के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी मौजूद रहे.