हिमाचल के इस बार के चुनाव अब तक के सबसे रोमांचक होने वाले हैं. ऐसा ही रोमांच है मंडी जिले की तीन विधानसभा सीटों का. ये तीन सीट हैं मंडी सदर जहाँ मुकाबला है कांग्रेस से भाजपा में गए वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे अनिल शर्मा और कांग्रेस की तरफ से मंडी जिला परिषद की अध्यक्षा और स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर के बीच. दूसरी है जोगिन्दर नगर विधानसभा जहाँ निर्दलीय उम्मीद्वार प्रकाश राणा के आने के कारण भजपा के दिग्गज नेता गुलाब सिंह ठाकुर की रह मुश्किल नज़र आ रही है.
तीसरी है द्रंग विधानसभा, जहाँ से स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर 8 बार विधायक चुने गए और उन्हें सिर्फ एक बार हार का मुंह देखना पड़ा था 1990 में. यहाँ भी उन्ही की पार्टी के कंही उनके खास रहे पूर्ण ठाकुर की बगावत के कारण मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है और रोमांचक भी. तो आज थोड़ा सा विश्लेषण करते हैं द्रंग विधानसभा का.
द्रंग-30 विधानसभा क्षेत्र में आजतक सिर्फ दोनों पार्टियों के बीच ही मुकाबला होता रहा था जिसमे अधिकतर कौल सिंह ठाकुर ही बजी मारते रहे. 8 बार विधायक बने और समय समय पर जब कांग्रेस की सरकार बनी तो विभिन्न विभागों में मंत्री भी रहे. वर्तमान सरकार में भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, राजस्व और कानून मंत्री हैं. विधानसभा अध्यक्ष भी रहे तो कांग्रेस अध्यक्ष भी. राजनतिक अनुभव और रुतबा बहुत अधिक है. बीच में मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब भी देखते रहे हैं और इस बार नौवीं पारी खेलने मैदान में उतरे हैं. हालाँकि पिछली बार ये कहा था की वो इनका अंतिम चुनाव था इस बार फिर से यही कह रहे हैं. अंतिम है या नहीं वो बाद की बात अभी की बात जीतेंगे या नहीं.
उनके मुकाबले में हैं पिछले दो बार हरे भाजपा के नेता जवाहर ठाकुर. हालाँकि जवाहर ठाकुर दोनों चुनावों में कौल सिंह को कड़ी टक्कर देने में कामयाब रहे थे. जवाहर ठाकुर ने कौल सिंह ठाकुर का प्रभुत्व तो कम किया लेकिन जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हो सके. भारतीय जनता पार्टी ने शायद इसी कारण जवाहर ठाकुर को तीसरी बार मौका दिया है. हालाँकि छवि पर भी कोई दाग नहीं है लेकिन कम पढ़ा लिखा होना विपक्षी पार्टी के लिए एक मुद्दा है जिसे विपक्षी पार्टी भुना भी रही है. नामांकन पत्र भरती बार भी जवाहर अंग्रेजी में शपथ नहीं लिए पाए जिसे कांग्रेस ने सोशल मीडिया मुद्दा बनाया हुआ है.
द्रंग विधानसभा के तीसरे उम्मीदवार हैं मंडी जिला के जिला परिषद् उपाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमिटी उपाध्यक्ष पूर्ण चंद ठाकुर. पूर्ण ठाकुर ने दो बार जिला परिषद् चुनाव भी जीता एक बार कटिंडी वार्ड से तो दूसरी बार बड़ीधार वार्ड से. पूर्ण चंद ने हालाँकि कांग्रेस के टिकट के लिए भी आवेदन किया था लेकिन टिकट न मिलने के बाद आजाद उम्मीद्वार के तौर पर परचा भरा और अब मैदान में हैं.
द्रंग विधानसभा से 3 और उमीदवार चुनाव मैदान में हैं. बहुजन समाज पार्टी से रमेश कुमार और निर्दलीय चूरामणि और सूरजमणि. लेकन ये तीनों कोई खास प्रभाव नहीं है.
अब बात करते हैं मुकाबले की. पिछले चुनावों में मुख्य मुकाबला कौल सिंह ठाकुर और भाजपा उम्मीदवारों के बीच ही रहा है. पहले कौल सिंह ठाकुर बहुत ज़्यादा अंतर से जीतते थे लेकिन 2007 और 2012 के चुनावों में जवाहर ठाकुर ये अंतर दो तीन हजार के पास ले आये. 2007 के चुनाव जवाहर और भाजपा के लिए मनोबल की जीत थी. इस बार के चुनावों में मुकाबला त्रिकोणीय है. दो जगह से जिला परिषद् चुनाव जीतने के कारण पूर्ण चंद का प्रभाव भी विधानसभा क्षेत्र के काफी हिस्से में है. साथ ही पूर्ण चंद ठाकुर ने इन चुनावों की तैयारी भी काफी समय पहले शुरू कर दी थी और चुनाव घोषणा से पहले काफी पंचायतों के दौरे कर लिए थे जहाँ उन्हें समर्थन भी ठीक थक मिल रहा था. पूर्ण चंद ठाकुर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भी बहुत करीबी रहे हैं जिस कारण वो लोगों के काम भी करवाते रहे हैं. इसके अलावा क्षेत्र के तटस्थ मतदाता जो दोनों पार्टियों से खुश नहीं हैं और विकल्प चाहते हैं, भी पूर्ण के समर्थन में मतदान कर सकते हैं.
इन सब कारणों के कारण उम्मीद है की इस बार पूर्ण भी मतों का एक बहुत बड़ा हिस्सा झटक सकते हैं तथा भाजपा तथा कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं. पूर्ण चंद ठाकुर के अनुसार निष्पक्ष मतों के अलावा वह कांग्रेस तथा भाजपा दोनों के मतों पर सेंध मारेंगे. तो द्रंग से जीत किसकी होती है अब ये इस पर निर्भर करेगा कि पूर्ण चंद ठाकुर कितने वोट हासिल करने में सफल रहते हैं और वो ज़्यादा वोट किस पार्टी के काटते हैं.