हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है. इस प्राकृतिक सुंदरता को देखने हर साल लाखों की संख्या में लोग देश-दुनिया से यहाँ आते हैं. लेकिन आज के दौर में प्लास्टिक एक ऐसी समस्या बन गया है जिसके दुष्प्रभाव से पहाड़ भी अछूते नहीं हैं. किसी भी शहर, कसबे या गाँव चले जाईये प्लास्टिक के ढेर आपका स्वागत करते हुए नज़र आएंगे.
इस प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए दुनिया भर में जंग जारी है. इसी सन्दर्भ में हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिंगल उसे प्लास्टिक कटलरी पर प्रतिबन्ध का ऐलान किया है . सिंगल यूज़ प्लास्टिक को बेचने या कहीं फेंकने पर 25000 रूपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया है.
यह पहला मौका नहीं है जब हिमाचल ने प्लास्टिक के खिलाफ कोई कानून बनाया. साल 2009 में हिमाचल पॉलिथीन बैग्स को बैन करने वाला देश का पहला राज्य बना था. उसके बाद पॉलिथीन के कारण फैलने वाले कचरे में काफी कमी आयी. इसी साल जून में हिमाचल में थर्मोकोल प्लेट और गिलासों को भी प्रतिबंधित किया गया था. इसके अलावा 1 लीटर से कम प्लास्टिक की बोतलों को भी बैन किया गया था. इस दौरान मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने यह भी कहा था कि सभी सरकारी स्कूल के बच्चों को स्टील बोतलें उपलब्ध करवाई जाएँगी.
सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध प्लास्टिक कचरे को रोकने की और एक कारगर कदम हो सकता है. सिंगल यूज़ प्लास्टिक, प्लास्टिक कचरे का सबसे बड़ा कारण है क्योंकि इसे एक बार उपयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है. अक्सर शादी समारोह या दूसरी दावतों में बड़े पैमाने पर डिस्पोजेबल प्लास्टिक की प्लेट, गिलास, चमच्च इत्यादि का प्रयोग किया जाता है. उपयोग के बाद में इस कचरे को इधर उधर फेंक दिया जाता है.
इस बैन के लिए सरकार ने 3 महीने का समय दिया है ताकि पहले से इकठा स्टॉक को ख़त्म किया जा सके. यह बैन 3 महीने के बाद प्रभाव में आएगा. इसके बाद यदि कोई प्लास्टिक कटलरी का उपयोग करता या बेचता हुआ पाया जायेगा तो उसे भरी जुर्माना लगाया जा सकता है. दुकान, ढाबे, रेस्टोरेंट जैसे व्यापारिक संस्थाओं द्वारा सिंगल यूज़ प्लास्टिक को अपने आसपास या किसी सार्वजानिक स्थान पर फेंकने पर 5000 रूपये जुर्माना रखा गया है. किसी व्यक्ति द्वारा कूड़ा फेंकने पर 500 रूपये प्रति 100 ग्राम से लेकर 10 कि.ग्रा. बैग पर 25000 रूपये तक जुर्माने का प्रावधान है.
लेकिन सरकार द्वारा प्रतिबन्ध लगा देने भर से प्लास्टिक कचरे को समाप्त नहीं किया जा सकता. हालाँकि सरकार ने 2009 में ही पॉलिथीन के लिफाफों को प्रतिबंधित कर दिया गया था फिर भी कई स्थानों पर खासकर दुकानदारों द्वारा इन लिफाफों का उपयोग किया जाता है. प्लास्टिक के खिलाफ अगर लड़ाई जितनी है तो हम सभी को आगे आना पड़ेगा अपनी रोज़मर्रा कि आदतों से प्लास्टिक को दूर करना पड़ेगा.