भाजपा ने विधानसभा चुनावों में एक बहुत बड़ी जीत हासिल की. लेकिन इस जीत ने पार्टी को दुविधा में डाल रखा है. कारण है मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की हार.
यूँ तो चुनाव प्रचार के समय ही भाजपा के कई चेहरे मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के रूप में सामने आ रहे थे. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी.नड्डा और भाजपा के संगठन के बड़े नेता अजय जम्वाल के नाम प्रमुख थे. लेकिन भाजपा ने प्रचार के अंतिम दिनों में प्रेम कुमार धूमल का नाम तय किया मुख्यमंत्री पद के लिए.
धूमल अपनी सीट हमीरपुर छोड़ कर सुजानपुर जा पहुंचे, अपने पुराने शागिर्द राजिंदर राणा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए. राणा जो अब कांग्रेस पार्टी का हिस्सा हैं 2012 में आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते थे और लोकसभा में धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर से चुनाव हार गए थे. राणा अपने क्षेत्र के लोगों पर ठीक ठाक पकड़ रखते हैं. लोगों का मानना है की राजिंदर राणा ने सुजानपुर में बहुत काम करवाए हैं. इसी का खामियाज़ा भुगतना पड़ा धूमल को. धूमल 1919 वोटों के अंतर से चुनाव हार गए.
और पढ़िए: कौन किस सीट से जीता ?
धूमल की हार के बाद भाजपा के सामने एक दुविधाजनक स्थिति उत्पन्न हो गयी. अब किसको बनाया जाये मुख्यमंत्री? पार्टी के साथ साथ कार्यकर्ता और अन्य लोग भी अपने अपने हिसाब से अपने पसंदीदा नेताओं की दावेदारी का समर्थन करने लग पड़े.
इन सब के बीच सबसे पहले जो नाम उभर के आया वो है मंडी के सराज के विधायक जय राम ठाकुर का. साफ छवि वाले जय राम की दावेदारी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गयी क्योंकि मंडी ने 10 में से 9 सीटें भाजपा को दे डाली. दूसरा कारण मंडी से पहली बार मुख्यमंत्री बनना भी जय राम के लिए मंडीवासियों का एक स्वर समर्थन सामने आया.
चुनाव परिणाम की रात और अगले दिन तक फेसबुक तथा ट्विटर पर जय राम को मुख्यमंत्री बनाने की मांग जोर पकड़ती चली गयी. जय राम की छवि और मंडी के प्रदर्शन के बाद यह मांग सिर्फ मंडी ही नहीं बल्कि दूसरे जिलों से भी उठने लगी. सिर्फ भाजपाई ही नहीं बल्कि निष्पक्ष तथा कुछ कांग्रेसी भी जय राम को सी.एम. बनाने की बात कह रहे हैं.
जय राम के अलावा शुरूआती दौर में जो प्रबल दावेदारों के नाम उछले उनमे फिर से जे.पी. नड्डा और अजय जम्वाल का नाम शीर्ष पर था. अब तय पार्टी को करना था की इनमे से मुख्यमंत्री किसे बनाया जाये. तभी धूमल खेमे के कुछ विधायक धूमल को ही सी.एम. बनाने की मांग उठाने लगे. कुछ ने तो धूमल के लिए अपनी सीट छोड़ने तक की बात कह दी.
और पढ़िए: हिमाचल चुनाव सी जुडी इन बातों को पढ़कर आपको मज़ा ज़रूर आएगा..
पार्टी हाई कमान ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मातृ नरिंदर सिंह तोमर को जीते विधायकों की नब्ज़ टटोलने के लिए शिमला भेजा है. पार्टी के सूत्रों के अनुसार पार्टी भी किसी हारे हुए उम्मीदवार को सी.एम नहीं बनाना चाहती. क्योंकि इससे जनता के बीच गलत सन्देश जायेगा इसके अलावा वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने भी इस बात की तरफदारी की कि मुख्यमंत्री जीते हुए विधायकों में से ही बनाया जाये. इससे जयराम ठाकुर कि दावेदारी को बहुत बल मिला. पार्टी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री का नाम लगभग तय है और जय राम का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय है. मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा शुक्रवार तक हो सकती है.
वहीं शिमला में आज हुई मीटिंग में आब्जर्वर के सामने धूमल तथा जय राम समर्थकों के बीच जमकर नारेबाजी हुई. इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम का फैसला पेचीदा होता जा रहा है.
इतना तय है कि यदि अभी भी धूमल को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो लोगों के बीच एक सन्देश जायेगा कि जिसे लोगों ने विधायक के काबिल नहीं समझा उसे पार्टी मुख्यमंत्री के काबिल समझती है. या तो पार्टी के पास धूमल के अलावा काबिल नेताओं कि कमी है या पार्टी को अन्य किसी काबिल नेता पर भरोसा नहीं है. ऐसी स्थिति में पार्टी को इमेज को नुकसान ज़रूर हो सकता है.