चुनाव आयोग ने आगामी विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है. हिमाचल प्रदेश में मतदान 9 नवंबर को होगा जबकि मतों की गिनती 18 दिसम्बर को की जाएगी. चुनावों के ऐलान के साथ ही प्रदेश में आचार संहिता (model code of conduct) लागू हो गयी है.
आज हुई एक पत्रकारवार्ता में चुनाव आयोग ने चुनावों की तारीखों का ऐलान किया. हिमाचल प्रदेश में होने वाले चुनावों का कार्यक्रम इस तरह से है..
चुनाव आचार संहिता– 12 अक्टूबर, 2017
चुनाव अधिसूचना और नामांकन शुरू होने की तारीख– 16 अक्टूबर. 2017
नामांकन की अंतिम तारीख– 23 अक्टूबर 2017
नामांकन की जाँच– 24 अक्टूबर 2017
नामांकन वापिस लेने की अंतिम तारीख-26 अक्टूबर 2017
मतदान – 9 नवंबर, 2017
मतों की गिनती – 18 दिसम्बर, 2017
चुनाव आयोग ने बताया की इन चुनावों में सभी 68 विधानसभा सीटों के 7521 मतदान केंद्रों में VVPAT मशीनों का प्रयोग किया जायेगा. जबकि 68 पोलिंग स्टेशन पर पेपर ट्रेल EVM के साथ सत्यापित की जाएगी. चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि उम्मीदवारों को हलफनामा पूरा भरना होगा. ऐसा न करने पर कार्यवाही कि जाएगी. चुनाव आयोग द्वारा सभी रैलियों की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी.
हिमाचल चुनाव आयोग ने चुनाव से सम्बिन्धित किसी भी प्रकार की सुचना के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया है. 01772620551 से चुनाव से सम्बिन्धित किसी भी प्रकार की सुचना ली जा सकती है.
2012 की तस्वीर
2012 के चुनावों में कांग्रेस ने 36 सीट हासिल कि थी जबकि भाजपा 26 सीटें लेने में कामयाब रही थी. तो आजाद उम्मीद्वारों ने भी 5 सीटें झटकीं थी और एक सीट हिलोपा को मिली थी.
क्या है आचार संहिता?
चुनाव आचार संहिता चुनावों की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव आयोग द्वारा स्थापित निर्देशों का पालन करते हुए अपना चुनाव प्रचार करना होता है. ऐसा न करने पर चुनाव आयोग नियमों का पालन न करने वाले दलों तथा उम्मीद्वारों पर कार्यवाही कर सकता है तथा नामांकन भी रद्द कर सकता है.
इन नियमों के तहत सभी प्रकार का चुनाव प्रचार, चुनावी सभाएं तथा रैलियां, रोड शो, प्रिंट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक प्रचार चुनाव आयोग की निगरानी में तथा आयोग द्वारा स्थापित निर्देशों के अंतर्गत ही करना होता है.
आचार संहिता के लागू होते ही वर्तमान सरकार पर विभिन्न प्रकार के अंकुश लग जाते हैं. सरकार किसी प्रकार की घोषणा, नियुक्तियां, शिलान्यास इत्यादि नहीं कर सकती. न ही सरकारी खर्च पर ऐसा कोई आयोजन कर सकती है जिससे किसी पार्टी विशेष को राजनीतिक लाभ पहुंचे.
चुनाव आचार संहिता का उद्देश्य शांतिपूर्वक तथा निष्पक्ष चुनाव करवाना है. चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है की सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए अपनी शक्ति का दुर्पुयोग न करे ताकि सभी दलों को चुनाव प्रचार का समान अवसर मिले. राजनीतिक दलों तथा उम्मीद्वारों के आचरण पर नज़र रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है.
चुनाव आचार संहिता के मुख्य नियम
- सरकार कोई भी नयीं घोषणा, नियुक्तियां, शिलान्यास, लोकार्पण नहीं कर सकती. मुख्यम्नत्री तथा अन्य मंत्री शासकीय दौरों तथा सरकारी तंत्र का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए नहीं करेंगे.
- इस दौरान केबिनेट बैठक नहीं हो सकती. सरकारी कर्मचारियों के तबादलों पर भी रोक रहेगी.
- चुनावी सभा, रैली तथा जुलुस के लिए इजाजत लेनी होगी तथा इनके आयोजन स्थल की सुचना पुलिस को दी जाये. प्रचार के लिए वहां इत्यादि पर लाउडस्पीकर इत्यादि लगाने की आज्ञा प्रशासन से लेनी होगी.
- उमीदवार तथा नेता कोई ऐसा भाषण न दे जिससे धार्मिक अथवा सामुदायिक उन्माद पैदा हो.
- चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थलों का प्रयोग न किया जाये.
- चुनाव जीतने के लिए किसी भ्रष्ट आचरण का प्रयोग न करें. जैसे की रिश्वत देना, शराब पीलाना या मतदाताओं को दर्जन धमकाना.
किसी भी व्यक्ति के घर, ज़मीन, जायदाद का इस्तेमाल बिना इजाज़त चुनाव के लिए नहीं किया जाएगा. - किसी भी प्रत्याशी अथवा नेता पर निजी हमले न किया जाएँ.
- चुनाव से 48 घंटे पूर्व किसी भी तरह की सभा या जुलुस पर रोक लग जाएगी. चुनाव के दिन मतदान केंद्र के 100 मीटर के भीतर किसी भी तरह का प्रचार नहीं किआ जायेगा.