गीत संगीत किसी भी देश, प्रदेश अथवा समुदाय की सांस्कृतिक विरासत की एक पहचान होती है. हम अपने इतिहास व जीवनशैली को गीतों के माध्यम से अन्य लोगों के सामने प्रस्तुत करते हैं. देश के अन्य राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश की भी संगीत की अपनी विशेष शैली है. लोकगीत की इस शैली को हिमाचली अथवा पहाड़ी संगीत के नाम से जाना जाता है.
हालाँकि मुख्यतः पुरे हिमाचल के संगीत को हिमाचली संगीत कहा जाता है लेकिन इसमें भी बहुत सी विविधता है. लगभग हर जिले की अलग शैली है जो किसी दूसरे जिले के साथ मेल खाती है तो किसी के साथ बहुत अलग है. हिमाचल में मुख्या रूप से कुल्लू, शिमला, कांगड़ा तथा चम्बा जिले का संगीत बहुत प्रचलित है जो प्रदेश के सभी भागों में सुना जाता है. इसके अलावा मंडी, बिलासपुर, सोलन और सिरमौर में भी लोकगीत बनते रहे हैं. लाहौल-स्पीति तथा किन्नौर जिले के लोकगीत अन्य जिलों से बिलकुल अलग है.
इतिहास
हिमाचली संगीत का एक बहुत समृद्ध इतिहास रहा है. वर्षों पहले हिमाचली लोकगीत में ऐसे गीत बनाये गए हैं जो आज भी उतने ही प्रचलित है जितने की आज कल बन रहे गीत. हिमाचली लोकगीत में ऐसे भी गीत हैं जिनके मूल गीतकार,संगीतकार तथा गायक के बारे में
कोई नहीं जनता. लेकिन उन गीतों ने आज भी धूम मचा राखी है. हिमाचली लोकगीत के क्षेत्र में करनैल राणा, शेर सिंह, कुलदीप शर्मा, नरेंदर ठाकुर, डाबे राम कुल्लुवी, ठाकुर दास राठी जैसे बहुत लोकप्रिय गायक हुए हैं.
लेकिन
हिमाचली लोकगीत ने एक ऐसा भी समय देखा जब हिमाचली संगीत को सुनने वाले लगातार काम हो रहे थे. ग्लोबलाइज़ेशन के चक्कर में हिमाचल के लोग खासकर युवा पीढ़ी बॉलीवुड व वेस्टर्न संगीत की तरफ आकर्षित हो गए थे. हिमाचली गीत कभी कभार विवाह शादी इत्यादि में सुन लिए जाते थे. नई पीढ़ी लोकसंस्कृति और लोक-संगीत से कटती हुई दिख रही थी.
और अब
पिछले कुछ समय में हिमाचली संगीत की लोकप्रियता ने एक ज़बरदस्त यु-टर्न लिया. कारण था हिमाचली संगीत को एक नए अंदाज़ में पेश करना. इस अंदाज़ का नाम है फोक-फ्यूज़न. हालाँकि हिमाचल के सुप्रसिद्ध बॉलीवुड गायक मोहित चौहान ने बहुत पहले कुछ एक हिमाचली गानों को गाकर हिमाचली संगीत को हिमाचल तथा हिमाचल से बाहर पहुंचने की एक अच्छी कोशिश की थी. मोहित के बैंड सिल्क रूट ने 1998 में ठंडा पानी नालुये रा और 2000 में मोरनी को अपनी एल्बम में जगह दी थी. इसके बाद 2009 में मोहित चौहान द्वारा गया माये नई मेरिये भी खूब प्रचलित हुआ था. लेकिन हिमाचली संगीत को हिमाचल के युवाओं के बीच दोबारा प्रचलित करने का श्रेय लमन बैंड को दिया जाना चाहिए.
2013 में लमन द्वारा गाये गए पारम्परिक गीत भोले बाबा को जो सफलता मिली वो हिमाचली संगीत के लिए संजीवनी बूटी थी. भोले बाबा के बाद लमन ने दो और गानों को फोक फ्यूज़न में गाया. लमन के ये दो गीत काली घघरी और पिया न जा भी यूट्यूब पर ज़बरदस्त हिट रहे.
लमन को मिली सफलता से प्रेरणा लेकर बहुत से दूसरे गायकों ने भी हिमाचली संगीत में काम करना शुरू किया. किसी ने नए गीत बनाये तो किसी ने पुराने पारम्परिक गीतों को नए अंदाज़ में गाया. वहीँ लोकगीतों के मैश अप भी खूब चले.
पेश है हाल ही में यूट्यूब पर छाये कुछ हिमाचली लोकगीत जो हर हिमाचली संगीत प्रेमी को ज़रूर सुनने चाहिए
मोहित चौहान ने अपने बैंड सिल्क रूट के साथ माये नई मेरिये, मोरनी और ठंडा पानी नालुये रा तेरे जैसे हिमाचली गीत गाये हैं
लमन बैंड के भोले बाबा, काली घघरी और पिया न जा गीत यूट्यूब पर सुपरहिट हुए. भोले बाबा को यूट्यूब पर 14 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है.
Kali Ghagri by Laman Band
रिचा शर्मा ने सायें सायें मत क़र राविये और कंगन जैसे गानों को अपनी मधुर आवाज़ में गाया है.
कुल्लू के उभरते गायक दीपक जनदेवा ने जा रे बदला, ओ रीनू और तारा लड़िए इत्यादि गीत गाये हैं.
रचना मनकोटिया का परली बनिया भी यूट्यूब पर खूब पसंद किया गया.
तिवरा बैंड पुराने हिमाचली गीतों का मैशअप कर इन्हे नए अंदाज़ में लोगों के सामने पेश करते हैं. यूट्यूब पर इनकी दो वीडियो हैं कांगड़ी-चम्ब्याली और कुल्लुवी मैशअप.
हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले कॉलेज के लड़कों के बैंड Soul Reign के लाइव रिकॉर्ड किये गए हिमाचली गीतों ने भी यूट्यूब और सोशल मीडिया पर ठीक धूम मचा रखी है.
हिमाचली फिल्म सांझ में मोहित चौहान द्वारा गाया पूछे अम्मा मेरी