हिमाचल प्रदेश सरकार पुनः चक्रित न होने वाले प्लास्टिक के लिफाफों को 75 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदने की योजना का आरम्भ किया है.
पिछले कुछ समय से दुनिया भर में प्लास्टिक का उपयोग इस कदर बढ़ा की सामान उठाने के बैग से लेकर घर के सामान तक हर चीज़ में प्लास्टिक का उपयोग होने लगा. उपयोग करने में आसान लेकिन दुष्प्रभाव यह कि अगर ज़मीन में दबा दें तब भी सैंकड़ों सैलून तक ख़त्म नहीं होता. सिंगल उसे प्लास्टिक ने ज़मीन के अलावा जल संसाधनों को भी दूषित करना शुरू कर दिया था. यहाँ तक कि हमारे महासागरों में भी लाखों टन प्लास्टिक इकठ्ठा हो गया है.
हम धीरे धीरे प्लास्टिक के कचरे को काम करने की ओर जागरूक हो रहे हैं. अब सरकारों ने भी इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. हाल ही हिमाचल प्रदेश सरकार ने सिंगल उसे प्लास्टिक पर रोक लगाने का निर्णय लिया. इसी कड़ी में एक कदम और उठाते हुए सरकार ने प्लास्टिक को खरीदने की योजना बनाई है. 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने इस योजना का शुभारंभ किया.
इस योजना के अंतर्गत स्थानीय परिवारों और पंजीकृत कूड़ा बीनने वालों से पुनः चक्रित न होने वाले पैकेजिंग प्लास्टिक को 75 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से ख़रीदा जायेगा. इसमें ब्रेड, केक, बिस्कुट, नमकीन, कुरकुरे, चिप्स के लिफाफे, गद्दे, कपडे इत्यादि की पैकेजिंग में उपयोग होने वाला प्लास्टिक सम्मिलित है. इसके अलावा तरल पदार्थ जैसे तेल, दूध, शैम्पू, हैंडवाश, लस्सी, दही इत्यादि में उपयोग होने वाले प्लास्टिक को पूरी तरह सूखा होने पर ख़रीदा जायेगा.
हालाँकि इस योजना के अंतर्गत बाल्टी, मैग, खिलोने, प्लास्टिक फर्नीचर, प्लास्टिक के बर्तन, पानी या दवा की बोतलों और पुनः चक्रित हो सकने वाले प्लास्टिक को नहीं ख़रीदा जायेगा.
इस योजना से लगभग 75000 किलोग्राम प्लास्टिक इकठ्ठा होने की सम्भावना है. जिसके लिए 2.81 करोड़ रूपये के बजट की आवश्यकता होगी.
इससे पहले प्रदेश सरकार ने 2 अक्टूबर 2009 को पॉलिथीन के लिफाफों और हाल ही में 16 सितम्बर को सिंगल यूज़ प्लास्टिक की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी थी.
प्लास्टिक कचरे को समाप्त करने के लिए हिमाचल सरकार तत्परता के साथ कदम उठा रही है लेकिन अब प्रदेश की जनता को भी सरकार के साथ मिल कर प्लास्टिक को ख़त्म करने की ओर प्रयास करने पड़ेंगे तभी इस कचरे से छुटकारा मिल पायेगा.