शिमला में आज हुई मंत्रिमंडल बैठक में राज्य में बस किराये में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया. सामान्य किराये में वृद्धि के आलावा न्यूनतम किराये को भी 6 रुपये निर्धारित किया गया जोकि अधिकतम 3 कि. मी. के लिए लागू होगा.
पहले से ही मंहगाई कि मार झेल रही प्रदेश की जनता की जेब पर इस किराया बढ़ोतरी से बोझ बढ़ जायेगा. निजी बस संचालकों की मांग के आगे झुकते हुए प्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है. बस किराये को बढ़ने की मांग को लेकर नीची बस संचालकों ने कुछ रोज़ पहले 2 दिन की हड़ताल की थी जिसे प्रदेश सरकार के आश्वासन के बाद वापिस ले लिया गया था.
क्या होंगी नई दरें
न्यूनतम किराये को 6 रुपये करने के आलावा सभी प्रकार की बसों के लिए किराये में मैदानी क्षेत्रों में 24.44% तथा पहाड़ी क्षेत्र में 20.69% की बढ़ोतरी की गयी है. साधारण बसों का प्रति कि. मी. किराया पहाड़ी इलाकों में 1.45 रुपये से बढाकर 1.75 रुपये तथा मैदानी इलाकों में 90 पैसे से पढ़कर 1.12 रु. कर दिया गया है.
मैदानी इलाकों में डीलक्स बस का किराया 1.10 रु. से बढाकर 1.37 रु. तथा एसी बसों का किराया से 2.20 रु. बढाकर 2.74 रु. किया गया है. वहीँ पहाड़ी इलाकों में ये दरें डीलक्स बसों के लिए 1.80 रु. से बढाकर 2.17 रु. तथा एसी बसों के लिए 3 रु. के स्थान पर 3.62 रु. प्रति कि.मी. कर दी गयी हैं.
निजी बस संचालकों ने लगातार बढ़ रही डीजल की कीमतों के बाद किराया बढ़ोतरी की मांग उठायी थी. प्रदेश सरकार ने भी डीजल की कीमतों का हवाल देकर किराया वृद्धि को सही ठहराया है.
लेकिन एक सवाल की क्या किराया बढ़ोतरी ही इसका एकमात्र हल था? पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से देश तथा प्रदेश की जनता को भरी परेशानी झेलनी पद रही है. जिस तरह पिछले साल भर में दिसेल की कीमतों में वृद्धि हुई है, निजी बस संचालकों की मांग भी किसी हद तक ठीक है.
तेल की कीमत का एक बड़ा हिस्सा केंद्र तथा राज्य सरकारों को कर के रूप में जाता है. क्या राज्य सरकार अपने हिस्से के कर में कुछ कटौती करके प्रदेश की जनता को रहत नहीं दे सकती थी? इससे निजी बस संचालकों को भी नुकसान नहीं उठाना पड़ता और प्रदेश की जनता को भी तेल की कीमतों में कुछ रहत मिल जाती.